November 14, 2024

जग्गा की बावड़ी जैन मंदिर का वार्षिक मेला सम्पन्न-आचार्य सुनील सागर महाराज ससंघ का सानिध्य-
वार्षिक मेले में हुआ नवनिर्मित डोम ‘प्रेम सभागार’ का उदघाटन एवं वर्षा के पानी के टांके का शिलान्यास


जयपुर -9अक्टूबर- जिनेन्द्र देव की प्रतिमा के दर्शन से मन को शांति मिलती है ।सदमार्ग का संदेश मिलता है।तीर्थ स्थानों की यात्रा व दर्शन से मन को वीतरागता मिलती है। धर्म,दान के लिए भावना बड़ी रखनी चाहिए।ये उदगार आचार्य सुनील सागर महाराज ने श्री दिगम्बर जैन मंदिर जग्गा की बावड़ी में रविवार को आयोजित


वार्षिक मेले के मौके पर आयोजित धर्म सभा में व्यक्त किए।
इस मौके पर नव निर्मित डोम ‘प्रेम सभागार ‘ का उदघाटन एवं वर्षा के पानी के टांके का नींव शिलान्यास किया गया।
अध्यक्ष दीप चन्द चौकडायत एवं मानद् मंत्री सुनील बख्शी ने बताया कि प्रातः 7.00 बजे आचार्य सुनील सागर महाराज ससंघ का मंदिर प्रांगण में भव्य मंगल प्रवेश हुआ। मंदिर कमेटी द्वारा पाद पक्षालन एवं आरती के साथ आचार्य संघ की अगवानी की गई। तत्पश्चात भगवान के अभिषेक, शांतिधारा के बाद धर्म सभा का आयोजन किया गया। इस मौके पर मंगलाचरण पूर्वी जैन ने किया।

समाज श्रेष्ठी समाजश्रेष्ठी तारा देवी,साधना,सक्षम-प्रियंका गोदीका ने चित्र अनावरण एवं
संजीव -चन्द्रिका जैन,सार्थक जैन ने दीप प्रज्जवलन किया।
मंत्री सुनील बख्शी ने स्वागत भाषण दिया। धर्म सभा का संचालन मनीष बैद ने किया। तत्पश्चात
नवनिर्मित डोम ‘प्रेम सभागार ‘का उदघाटन समाजश्रेष्ठी संजीव -चन्द्रिका जैन,सार्थक जैन ने किया। तत्पश्चात वर्षा ऋतु के जल को एकत्रित करने के लिए पानी के टांके का नींव शिलान्यास पं.प्रद्युम्न शास्त्री के निर्देशन में

समाज श्रेष्ठी समाज श्रेष्ठी तारा देवी,साधना,सक्षम-प्रियंका गोदीका ने किया।इस मौके पर राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति राजीव जैन, राजस्थान जैन युवा महासभा जयपुर के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप जैन, महामंत्री विनोद जैन कोटखावदा, मुकुल कटारिया, प्रदीप ठोलिया,सुदीप ठोलिया,कमल वैद,टी के जैन सहित बड़ी संख्या में गणमान्य श्रेष्ठी उपस्थित थे। तत्पश्चात
प्रातः 10.15 बजे चौबीसी भगवान की साज बाज के साथ पूजा की गई। प्रातः 11.15 बजे श्री जी का पंचामृत अभिषेक किया गया।आरती के साथ समापन हुआ।इस मौके पर बड़ी संख्या में गणमान्य श्रेष्ठी व श्रद्धालु गण शामिल हुए
इससे पूर्व आचार्य श्री सुनील सागर महाराज ससंघ प्रातः7.00 बजे राणा जी की नसियां से जग्गा की बावड़ी मंदिर पहुंचे।